केन्द्रीय जेल दुर्ग से आज रिहा हो सकते हैं 49 बंदी

कोरिया जिला से कमरून निशा की रिपोर्ट


भिलाई। कोरोना महामारी की आशंका को देखते हुए प्रदेश की जेलों में बंद कैदी रिहा किए जाएंगे। यह फैसला राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की टेली कांफ्रेंसिंग के माध्यम से छताीसगढ़ शासन के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिया गया था। जिसके तहत आज केन्द्रीय जेल दुर्ग से 49 बंदियों को निजी मुचलके पर जेल से 4 सप्ताह के लिए रिहा करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
विदित हो कि तिहाड़ जेल दिल्ली के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य है जहां ऐसा फैसला लिया गया है। प्रदेश की जेलों में बंद छत्तीसगढ़ राज्य के निवासी ऐसे कैदी जिनको किसी मामले में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है उन्हें कुछ शर्तों के साथ जेलों से रिहा करने का निर्णय लिया गया। ऐसे बंदी जिनके मामले की सुनवाई चल रही हो उन्हें 30 अप्रैल तक की निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी जाएगी। ऐसे बंदी जिन्हें सात साल तक की सजा सुनाई जा चुकी है और जेल में तीन माह या उससे अधिक की अवधि व्यतीत कर चुके हों उन्हें 30 अप्रैल तक पैरोल पर छोड़ा जाएगा। इन बंदियों को अपना आवेदन अपने जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरण में जिला जज की ओर से नियुक्त किए गए विशेष जजों के समक्ष प्रस्तुत करना होगा इसके बाद रिहा करने की कार्यवाही की जाएगी। फैसले के तहत दुर्ग जेल में विभिन्न मामलों में निरुद्ध 49 विचारधीन बंदियों ने आवेदन किया था जिन्हे आज रिहा करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है
जेल के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दुर्ग केन्द्रीय जेल में निरूद्ध लगभग 49 बंदियों को आज जेल से रिहा करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। वे ऐसे बंदी हैं जिनका ट्रायल प्रथम श्रेणी न्यायालय के समक्ष चल रहा है। इसके अलावा उन बंदियों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के फैसले का लाभ नही मिल पाएगा जिनके खिलाफ 420, पास्को, 354 तथा चिटफंड के मामले लंबित है।

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