विश्व शांति का संदेश लेकर कोरिया पहुँची लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर टीम
विश्व शांति का संदेश लेकर कोरिया पहुँची लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर टीम
शहर में जनजागरुकता फैलाने लोगों से किए चर्चा
कोरिया, 25 दिसंबर 2025/* लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर विश्वशांति विश्वपदयात्रा टीम के चार प्रमुख सदस्य अवध बिहारी लाल, जितेन्द्र प्रताप, महेन्द्र प्रताप एवं डैन्जर्स एडवेंचर्स स्पोर्ट्स के सदस्य व पर्वतारोही गोविन्दा नन्द छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया पहुंच कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी से किए सौजन्य मुलाकात।
यह टीम भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अभियान एवं जनजागरूकता कार्यक्रम संचालित कर रही है। 33 जनपदों की विश्वशांति विश्वपदयात्रा व रथयात्रा के माध्यम से यह अभियान छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी जिलों में जनमानस को जागरूक करने का कार्य कर रहा है।
टीम द्वारा अब तक विश्व के 11 देशों में 4 लाख 52 हजार किलोमीटर की ऐतिहासिक विश्वशांति विश्वपदयात्रा पूर्ण की जा चुकी है। वर्ष 2018 में इसी पदयात्रा के दौरान दुनिया की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक सफल यात्रा कर टीम ने एक और उपलब्धि अपने नाम की। इस यात्रा के दौरान पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखते हुए 14 करोड़ 50 लाख पौधों का रोपण कराया गया है तथा विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, गांवों एवं सार्वजनिक स्थलों पर पहुँचकर जनजागरूकता अभियान और स्थलीय निरीक्षण भी किया गया है।
टीम ने देश के लगभग 600 जनपदों में विश्वशांति पदयात्रा करते हुए उत्तराखण्ड के 13 जनपद, उत्तर प्रदेश के 75 जनपद, मध्यप्रदेश, राजस्थान के सभी 33 जनपद, गुजरात के 33 जनपद, केंद्र शासित प्रदेश दमन-दीव व गोवा तथा महाराष्ट्र के 36 जनपदों की यात्रा पूर्ण की है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में से अब तक 28 जनपदों की विश्वशांति विश्वपदयात्रा व रथयात्रा सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुकी है। जिला कोरिया में पहुंचकर टीम द्वारा विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में 24 दिसंबर को टीम आम लोगों में जनजागरुकता फैलाने का संदेश दिया। इस विश्वशांति विश्वपदयात्रा की शुरुआत 30 जुलाई 1980 को उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी से अवध बिहारी लाल द्वारा की गई थी।
वर्ष 2001 में वर्तमान सदस्य इस टीम से जुड़े और आज यह टीम 20 सदस्यों का स्वरूप ले चुकी है। वर्ष 1980 से पूर्व आई भीषण बाढ़ में श्री अवध बिहारी लाल का पूरा परिवार जलमग्न क्षेत्र में फँस गया था। उस भयावह आपदा में उन्होंने एक बरगद के पेड़ को पकड़कर कई घंटों तक संघर्ष किया और अंततः रेस्क्यू टीम व भारतीय सेना के जवानों द्वारा उनका जीवन बचाया गया। इसी घटना ने उन्हें पर्यावरण संरक्षण, वन एवं जल संरक्षण, सड़क सुरक्षा, स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और मतदाता जागरूकता जैसे सामाजिक उद्देश्यों के लिए जीवन समर्पित करने की प्रेरणा दी। इस यात्रा के दौरान टीम का एक साथी अपने कर्तव्य पथ पर शहीद भी हो चुका है।

