कड़ाके की ठंड में पत्रकारों की मानवीय पहल, पण्डो जनजाति के बुजुर्गों को बांटे कंबल

kamrun nisha

जिला कोरिया। कड़ाके की ठंड और लगातार पड़ रहे घने कुहासे को देखते हुए जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कोरिया (पंजीकृत) के तत्वावधान में मानवीय पहल करते हुए बुजुर्गों एवं असहाय लोगों के बीच कंबल वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम ग्राम पंचायत चेरवापारा में आयोजित हुआ, जहां पण्डो जनजाति के गरीब, बुजुर्ग एवं असहाय महिला-पुरुषों को कंबल वितरित किए गए।

कार्यक्रम में जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीन्द सिंह, महासचिव योगेश चंद्रा, संरक्षक उत्तम कश्यप, संरक्षक नीरज गुप्ता सहित सदस्य कमरून निशा अंकित अग्रवाल, प्रभात दास एवं ने उपस्थित रहकर सेवा कार्य में सहभागिता निभाई। सभी ने जरूरतमंदों को कंबल प्रदान कर मानवीय संवेदना का परिचय दिया।

इस अवसर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीन्द सिंह ने कहा कि शीतलहर और अत्यधिक ठंड के दौरान समाज के कमजोर वर्गों को सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई लोग रातें खुले आसमान या असुरक्षित स्थानों पर बिताने को मजबूर होते हैं। ऐसे समय में उनकी सहायता करना हम सभी की सामाजिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मानव सेवा ही सच्ची सेवा है और जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कोरिया हमेशा गरीबों, मजदूरों एवं वंचित वर्गों के साथ खड़ा रहा है।

कंबल वितरण के दौरान बड़ी संख्या में जरूरतमंद लोग उपस्थित रहे। बुजुर्गों, महिलाओं एवं असहाय लोगों को प्रतिनिधियों के माध्यम से कंबल प्रदान किए गए। प्रेस क्लब पदाधिकारियों ने कहा कि ठंड के मौसम में किसी को भी असहाय छोड़ना उचित नहीं है, इसलिए इस प्रकार के सेवा कार्य आगे भी निरंतर जारी रहेंगे।

उन्होंने प्रशासन एवं समाजसेवी संगठनों से भी अपील की कि वे आगे आकर जरूरतमंदों की सहायता करें, ताकि कोई भी व्यक्ति ठंड के कारण बीमार न पड़े या अपनी जान न गंवाए।

कंबल प्राप्त करने वालों में पण्डो जनजाति के मनोज पण्डो, इतवारिया पण्डो, अटरिया पण्डो, बिफइया पण्डो, पार्वती पण्डो, शिव पण्डो, नंद कुमार पण्डो, साहेब लाल पण्डो, समय लाल, बहलो, कलेसरी, फुलेश्वरी एवं सुशीला पण्डो शामिल रहे। कंबल पाकर जरूरतमंदों के चेहरे पर राहत और संतोष स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

बुजुर्गों और लाभार्थियों ने जिला जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कोरिया के इस सराहनीय प्रयास के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में परस्पर सहयोग और संवेदनशीलता ही सामाजिक सौहार्द को मजबूत बनाती है। इस तरह के कार्यक्रम न केवल जरूरतमंदों को राहत पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में सेवा और इंसानियत का सकारात्मक संदेश भी देते हैं।

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